Trending Ram Bhajan 2020
Trending Ram Bhajan 2020 |
मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजर बिहारी।
Mangal bhavan amangal hari,
Dravahu sudashrath ajari bihari...
Mangal bhavan amangal haari
Drabahu su Dasharath achar Bihari
Raam Siya Raam Siya Raam jai jai Raam
Raam Siya Raam Siya Raam jai jai Raam
Ho hoi hai wohi jo Raam rachi raakha
Ko kari tarak badhave saakha
Raam Siya Raam Siya Raam jai jai Raam
Ho dheeraj dharam mitra aru naari
Aapad kaal parakhiye chaari
Ho jehike jehi par satya sanehu
So tehi milay na kachhu sandehu
Ho jaaki rahi bhawana jaisi
Prabhu murati dekhi tin taisi
Ho Raghukul reet sada chali aayi
Praan jaaye par vachan na jaayi
Raam Siya Raam Siya Raam jai jai Raam, Raam
Raam Siya Raam Siya Raam jai jai Raam
Ho hari anant hari katha ananta
Kahahi sunahi bahuvidhi sab santa
Raam Siya Raam Siya Raam jai jai Raam, Raam
Raam Siya Raam Siya Raam jai jai Raam
Raam Siya Raam Siya Raam jai jai Raam
श्रीराम स्तुति : श्री राम चंद्र कृपालु भजमन
Shri ram chandra kripalu bhajman haran bhav bhay darunam,nav kanj lochan kanjmukh kar kanj pad kanjarunam.
श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन या श्रीराम स्तुति
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित १६वीं शताब्दी का एक महान भजन है। ईसमे श्रीराम प्रभु के अदभुत गुण एवं शौर्य का वर्णन किया गया है। मनुष्य के मन को नियंत्रित करनेवाली ये यह स्तुति संस्कृतमय अवधी भाषा में है। नीचे की पंक्तियाँ अवधी भाषा में लिखी गयी है। इसमें कई अलंकारों का प्रयोग हुआ है। भक्तिरस से भरी हुई यह कविता, साहित्यिक तौर पर भी अद्भुत है। यह जगती छंद में लिखी गयी एक बहुत प्यारी कविता है जिसे श्रीराम की छवि को वर्णित करने के लिये लिखा गया है ।
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन हरणभवभयदारुणं। नवकंजलोचन कंजमुख करकंज पदकंजारुणं ॥१॥
अर्थ मन कृपालु श्रीरामचन्द्रजी का भजन कर। वे संसार के जन्म-मरण रूपी दारुण भय को दूर करने वाले हैं। उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान हैं। मुख-हाथ और चरण भी लालकमल के सदृश हैं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि नवनीलनीरदसुन्दरं। पटपीतमानहु तडित रूचिशुचि नौमिजनकसुतावरं ॥२॥
अर्थ: उनके सौन्दर्य की छ्टा अगणित कामदेवों से बढ़कर है। उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुन्दर वर्ण है। पीताम्बर मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है। ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मैं नमस्कार करता हूँ ॥२॥
भजदीनबन्धु दिनेश दानवदैत्यवंशनिकन्दनं। रघुनन्द आनन्दकन्द कोशलचन्द्र दशरथनन्दनं ॥३॥
अर्थ: हे मन दीनों के बन्धु, सूर्य के समान तेजस्वी, दानव और दैत्यों के वंश का समूल नाश करने वाले, आनन्दकन्द कोशल-देशरूपी आकाश में निर्मल चन्द्रमा के समान दशरथनन्दन श्रीराम का भजन कर ॥३॥
शिरमुकुटकुण्डल तिलकचारू उदारुअंगविभूषणं। आजानुभुज शरचापधर संग्रामजितखरदूषणं ॥४॥
अर्थ: जिनके मस्तक पर रत्नजड़ित मुकुट, कानों में कुण्डल भाल पर तिलक, और प्रत्येक अंग मे सुन्दर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं। जिनकी भुजाएँ घुटनों तक लम्बी हैं। जो धनुष-बाण लिये हुए हैं, जिन्होनें संग्राम में खर-दूषण को जीत लिया है ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शङकरशेषमुनिमनरंजनं। ममहृदयकंजनिवासकुरु कामादिखलदलगञजनं ॥५॥
अर्थ: जो शिव, शेष और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओं का नाश करने वाले हैं, तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि वे श्रीरघुनाथजी मेरे हृदय कमल में सदा निवास करें ॥५॥
मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर सावरो। करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ॥६॥
अर्थ: जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से सुन्दर साँवला वर (श्रीरामन्द्रजी) तुमको मिलेगा। वह जो दया का खजाना और सुजान (सर्वज्ञ) है, तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है ॥६॥
एही भाँति गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषींअली। तुलसी भवानी पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
अर्थ: इस प्रकार श्रीगौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सभी सखियाँ हृदय मे हर्षित हुईं। तुलसीदासजी कहते हैं, भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं ॥७॥
जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ॥८॥
अर्थ: गौरीजी को अनुकूल जानकर सीताजी के हृदय में जो हर्ष हुआ वह कहा नही जा सकता। सुन्दर मंगलों के मूल उनके बाँये अंग फड़कने लगे ॥८॥
भए प्रगट कृपाला दीन दयाला नारायण हितकारी।
Bhaye pragat kripala deen dyalaभए प्रगट कृपाला, दीनदयाला
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥
करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम
श्री राम, जय राम, जय जय राम
ठुमकी चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया ।
Thumak chalat ram chandra bajat paijaniya
ठुमक चलत राम चंद्रा
ठुमक चलत राम चंद्रा
बाजत पायजानिया
ठुमक चलत राम चंद्रा
बाजत पायजानिया
ठुमक चलत राम चंद्रा
किलक किलक उठट धाय
किलक किलक उठट धाय
गिरत भूमि लटपटए
धाय मात गोद लेट
दशरथ की रानिया
ठुमक चलत
बाजत पायजानिया
ठुमक चलत राम चंद्रा
अंचल रज अंग झारि
अंचल रज अंग झारि
विविध भाँति सो दुलारी
विविध भाँति सो दुलारी
तन मन धन वारि वारि
तन मन धन वारि
तन मन धन वारि वारि
कहट मृदु बचनियाँ
ठुमक चलत
बाजत पायजानिया
ठुमक चलत राम चंद्रा
विद्रुमसे अरुण अधर
विद्रुमसे अरुण अधर
बोलत मुख मधुर मधुर
बोलत मुख मधुर मधुर
सुभग नासिका में चारू
लटकट लटकनिया
ठुमक चलत
बाजत…
Raghupati Raghav Raja Ram
रघुपति राघव राजाराम,raghupati raghav raja ram
पतित पावन सीताराम patit pawan sitaram सीताराम सीताराम,भज प्यारे तू सीताराम sitaram sitaram bhaj pyaare tu sita ram ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,ishwar allah tero naam
सब को सन्मति दे भगवान sab ko sanmati de bhagwan.
राम रहीम करीम समान हम सब है ram rahim karim samaan hum sab hai उनकी संतान सब unaki santaan sab
मिला मांगे यह वरदान हमारा रहे मानव का ज्ञान mila mange yah vardaan hamara rhe manav ka gyan
पतित पावन सीताराम patit pawan sitaram सीताराम सीताराम,भज प्यारे तू सीताराम sitaram sitaram bhaj pyaare tu sita ram ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,ishwar allah tero naam
सब को सन्मति दे भगवान sab ko sanmati de bhagwan.
राम रहीम करीम समान हम सब है ram rahim karim samaan hum sab hai उनकी संतान सब unaki santaan sab
मिला मांगे यह वरदान हमारा रहे मानव का ज्ञान mila mange yah vardaan hamara rhe manav ka gyan
हे राम हे राम हे राम जग मे साचा तेरा नाम
Hey ram hey ram
Hey Ram hey Ram
Hey Ram hey Ram
Tu hi mata tu hi pita hai,
Tu hi to Radha ka Shyam
Hey Ram hey Ram
Hey Ram hey Ram
Tu antaryami sabka swami
Tere charno men charo dham
Hey Ram hey Ram
Hey Ram hey Ram
Tu hi bigade Tu hi sawaren,
Iss jag ke sare kam
Hey Ram hey Ram
Hey Ram hey Ram
Tu hi jagdata vshwavidhata,
Tu hi subah tuhi shaam
Hey Ram hey Ram
Hey Ram hey Ram
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