ईश्वर The Lord |
संपूर्ण संसार का एक ही आधार है ईश्वर, ईश्वर के कई रूप हैं, कई नाम भी है। हर व्यक्ति ईश्वर को अलग-अलग नाम से पुकारता है कोई राम कहता है, कोई कोई यीशु कहता है, कोई नानक कहता है, कोई अल्लाह कहता है। लेकिन हम किसी से यह प्रश्न करें कि आपने ईश्वर को देखा है तो शायद कुछ लोगों का यह उत्तर होगा हां देखा है और कुछ लोग कहेंगे नहीं देखा। हां हम साक्षात तो ईश्वर को नहीं देख सकते, लेकिन किसी इंसान के रूप में हम ईश्वर को देख सकते हैं। इसलिए मैं भी यह कह सकती हूं कि मैंने ईश्वर को देखा है।
ईश्वर The Lord |
2013 की बात है। मैं अपने हस्बैंड के साथ शिरडी साईं बाबा के दर्शन करने गई थी। हमने दर्शन कर लिए और फिर वहां से सनी सिगनापुर के लिए रवाना हो गए। सनी सिगनापुर में दर्शन करने के बाद हम वहां से औरंगाबाद निकलने के लिए साधन ढूंढने लगे। पर हमें तब तक बहुत देर हो चुकी थी हमें यह नहीं मालूम था कि वहां से शाम को कोई साधन नहीं मिलता है और वहां काफी भीड़ होने के कारण शाम होने लगी थी, फिलहाल हमने दर्शन कर लिए और औरंगाबाद जाने के लिए चल पड़े। हम लोगों को यह नहीं पता था कि वहां से ज्यादा देर हो जाने के बाद साधन नहीं मिलता है। हम आटो स्टैंड तक पहुंचे और आगे जाने के लिए हमें कोई साधन नहीं मिल रहा था। सनी सिगनापुर धाम से हाईवे तक जाने के लिए भी ऑटो का मिलना मुश्किल हो रहा था। कोई ऑटो वाला उस तरफ जाने को तैयार नहीं हो रहा था। बड़ी मुश्किल से 1 आटो वाला तैयार हुआ और वह हमें औरंगाबाद के हाइवे तक छोड़ कर वापस चला गया।
ईश्वर The Lord |
अब हम हाईवे तक तो पहुंच गए थे मगर वहां से आगे जाने का कोई साधन नहीं मिल रहा था। हम बहुत परेशान हो रहे थे। अनजानी जगह कुछ भी जाना पहचाना नहीं । समधन की जा रही थी और धीरे-धीरे उस चौराहे से लोगों का आना-जाना भी कम होने लगा हमें यह डर लगने लगा कि कहीं ऐसा ना हो कि हमें ज्ञान जी के लिए कोई साधन ही ना मिले क्योंकि उस तरफ से बसों का आना-जाना भी बहुत ही कम था शायद उस दिन की आखिरी बस निकल चुकी थी जैसा कि हमें वहां पर खड़े कुछ लोगों से पता चला था अब हम और घबरा रहे थे क्योंकि वहां पर लोगों का आना जाना बहुत ही कम हो गया था और गिने-चुने कुछ लोग रह गए थे अनजान जगह और ऐसे अकेले सड़क पर खड़े रहना बहुत ही अजीब लग रहा था और अंदर से डर भी लग रहा था ।अब क्या करें कुछ भी नहीं समझ आ रहा था। शाम होती जा रही थी, तभी एक गाड़ी हम लोगों के पास आकर रुकी, उसमें से एक लोग बाहर आए और वह बूढ़े से सफेद पजामा कुर्ता पहने थे उनकी दाढ़ी भी बहुत बड़ी-बड़ी थी और वह आकर बोलते हैं औरंगाबाद जा रहा हूं आप लोगों को चलना है तो आप हमारे साथ आ सकते हैं। हम लोग एक दूसरे का मुंह देखने लगे की कैसे पता कि हमें औरंगाबाद जाना है। लेकिन उन्होंने हमें विश्वास दिलाया कि मैं भी उधर जा रहा हूं और आप लोगों को वहां तक छोड़ दूंगा। फिर हम दोनों गाड़ी में बैठ गए और उन्होंने हमें औरंगाबाद तक छोड़ा और उन्होंने हमें होटल भी दिलाया आज भी मैं जब यह सब सोचती हूं तो मेरे रोए रोए खड़े हो जाते हैं इसलिए मैं तो यही कहती हूं कि मैंने ईश्वर को देखा है मैंने उस इंसान में साईं के दर्शन किए जो हमारी इतनी बड़ी मुसीबत में हमारे काम आए। तो वह मेरे लिए साईं ही थे। हमें किसी न किसी रूप में भगवान के दर्शन होते हैं
धन्यवाद प्रज्ञा श्रीवास्तव
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