योग और उपवास मे संबंध, उपवास कब और कैसे करें?
योग और उपवास मे संबंध, उपवास कब और कैसे करें? |
योग ऋषि पतंजलि के अनुसार उपवास भी एक योग है और पुराने समय में उपवास रखना एक आम बात थी आजकल लोग उपवास बहुत कम रखते हैं उपवास हमारे स्वास्थ्य के लिए और हमारे आत्मविश्वास दोनों के लिए बहुत ही लाभदायक है उपवास रखने से कई तरह की बीमारियां नष्ट हो जाती हैं और कई बीमारियां तो जड़ से ठीक हो जाती है हमें उपवास अवश्य रखना चाहिए यह भी एक बहुत बड़ा योग है।
योग और उपवास मे संबंध, उपवास कब और कैसे करें?
वैसे तो भारत में बहुत उपवास रखे जाते हैं और खासकर औरतें तो बहुत अधिक उपवास रखती हैं पर क्या वह जो उपवास रखती हैं वह सही तरीके से रखती हैं क्या वह उपवास सही है आइए इस बारे में भी जान लेते हैं पुराने समय में उपवास रखना एक चिकित्सा का रुप माना जाता था। यदि किसी व्यक्ति को पेट की समस्या हो जाए तो उसे उपवास रखने की सलाह दी जाती थी और उसका पेट बिल्कुल सही हो जाता था। ऐसे ही उपवास से बहुत सारे इलाज किए जा सकते हैं आइए जान लेते हैं। उपवास में इतनी अधिक ताकत है इस वजह से ही शायद औरतों को उपवास रखने की संस्कृति भारत में अपनाई गई। जिस की वजह से भगवान की पूजा भी हो जाती है और औरतों का स्वास्थ्य भी सही रहता है ,क्योंकि उपवास वास्तव में बहुत ही चमत्कारिक है उपवास रखने से आत्मविश्वास की वृद्धि होती है शायद इसीलिए भारत में औरतें बहुत अधिक आत्मविश्वासी होती हैं और व्रत रखती हैं।
सबसे पहले मैं यह बताना चाहूंगा कि उपवास क्या है उपवास शरीर के समस्त विकारों को जला देने वाला सबसे सही उपाय है। वह सदा स्वस्थ रहने का सबसे सरल उपाय है जब मनुष्य शरीर को आराम मिलता है उस आराम की स्थिति का नाम ही उपवास है।
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मैं इस बारे में एक 2 लाइनें कहना चाहूंगा
दवा दबाए रोग को, करे नहीं निर्मूल ।
चतुर चिकित्सक ठग रहे, क्यों करते हो भूल।।
अगर किसी को की गड़बड़ी से कोई कष्ट हो गया है तो इस बात को अवश्य समझने का प्रयास करें मान लीजिए आप स्वस्थ अवस्था में हैं किसी बारात यात्रा अथवा किसी दोस्त के यहां गए और भोजन में गड़बड़ी हो गई है या कब्ज हो गया है या दस्त आने लगे हैं ।
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तो उस स्थिति में आपके सामने दो रास्ते हैं
पहला रास्ता यह है- भोजन की गड़बड़ी से उत्पन्न विकारों में जिन्हें आप किसी रोग से पुकारते हैं से पेट खराब या फिर कब या फिर लूज मोशन आजकल बहुत अधिक प्रचलित है या आप उसमें आप प्रकृतिक चिकित्सा मैं उसे दवाई के द्वारा दबा देते हैं जिससे आगे चलते उसका परिणाम यह होता है कि वह और घातक रूप में उभरकर सामने आती है उदाहरण के लिए कब्ज को दवा के द्वारा ठीक करने का परिणाम। भविष्य में गैस, अतिसार, पेचीस्, कोलाइटिस, कब्ज हो सकता है ।
दूसरा रास्ता यह है- कि भोजन की गड़बड़ी से उत्पन्न विकार को जैसे के पतैसे ही नष्ट कर दिया जाए, वह जला दिया जाए जिससे कि 'ना रहे बांस ना बजेगी बांसुरी' कहने का अर्थ यह है कि जब कोई शरीर में विकार ही नहीं रहेगा। कोई बीमारी ही नहीं रहेगी। तो भविष्य में उसे किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी। इस रास्ते को या इस तरीके को प्राकृतीक चिकित्सा कहते हैं। इसमे पंचमहाभूत जैसे कि मिट्टी चिकित्सा, जल चिकित्सा, धूप चिकित्सा, वायु चिकित्सा,उपवास द्वारा निकाला जाता है प्राकृत चिकित्सा की पांचों चिकित्सा पद्धतियों में उपवास की चिकित्सा सबसे अधिक सरल और तुरंत प्रभाव कारती है और विकारों से छुटकारा दिलाने का या नष्ट करने का सबसे सक्षम उपाय है।
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उपवास में बहुत से लाभ होते हैं जैसे कि मैं आपको एक एक करके बताने जा रहा हूं
1. उपवास रहने से पेट के सभी तंत्र सही तरीके से काम करने लगते जैसे आमाशय, यकृत (छोटी आंत) बड़ी आत इत्यादि को आराम भी मिल जाता है फल स्वरुप जठराग्नि जिसे की जीवन शक्ति भी कहते हैं वह हमारे शरीर के विकारों को जलाने में लग जाती है जिसकी वजह से हमारे शरीर के अंदर की बीमारियां अपने आप ठीक होने लगती हैं इस वजह से हमें उपवास अवश्य ही रहना चाहिये। कम से कम हफ्ते में एक दिन तो उपवास अवश्य रहे। इससे शरीर में कितनी सारी बीमारियां तो अपने आप ही ठीक हो जाती हैं और कोई बीमारी होने भी नहीं पाती।
2. दूसरी बात की व्रत या उपवास रहने से शरीर में खून की शुद्धता बढ़ जाती है जब हम व्रत रहते हैं तो हमारे शरीर के अंग बहुत सही ढंग से हमारे अंदर के विकारों को नष्ट करने में लग जाते है। क्योंकि उसे हमारे भोजन को पचाने के लिए अतिरिक्त काम नहीं करना पड़ता है। उस समय वह हमारे शरीर में बचे हुए विकारों को नष्ट करने का काम करता है। जिसकी वजह से हम और अधिक स्वस्थ और सुंदर दिखने लगते हैं।
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4. अगर आप व्रत रहते हैं या उपवास रहते हैं तो आपको कुछ बड़े रोग होने की आशंका बहुत कम होती है जैसे कि मोटापा, शुगर, हृदय रोग, रक्तचाप जिसे की हाई ब्लड प्रेशर लो ब्लड प्रेशर भी कहते हैं, जोड़ों का दर्द, दमा, गठिया, इस तरह के रोगों की संभावनाएं बहुत ही कम हो जाती हैं क्योंकि हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत अधिक बढ़ जाती है और हमारे शरीर में किसी तरह की बीमारियों के उत्पन्न होने की आशंका बहुत कम हो जाती है।
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5. अगर आप व्रत रहते हैं और सही ढंग से व्रत रहते हैं तो आपको बुढा़पे की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जो व्यक्ति व्रत रहता है उस पर बुढ़ापे का कुछ खास असर नहीं होता वह हमेशा स्वस्थ रहता है उसमें रोगो से लड़ने की क्षमता भी बहुत अधिक होती है।
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