योग क्या है?,what is yoga according to old era
भारत में आजकल योग का बहुत ही अधिक प्रचलन हो गया है योगा एक अति प्राचीन पद्धति है शरीर को स्वस्थ रखने की जो कि बहुत ही लाभकारी और हमारे शरीर के अनुकूल है योगा के नियमित अभ्यास से आप अपने आप को स्वस्थ और सुंदर बना सकते हैं आज भारत में योग का बहुत अधिक प्रचलन हो चुका है हालांकि यह पद्धति हमारे भारत की ही है और इसका जन्मदाता भी भारत ही है उसके बावजूद योग का प्रचलन बहुत कम हो गया था मगर इन दिनों योग का प्रचलन काफी बढ़ गया है और अब तो विश्व योगा दिवस भी मनाया जाने लगा है।
योग क्या है?,what is yoga
योग क्या है?,what is yoga according to old era
योगा भाषा के अनुसार 'योग: समाधि:श्च सर्वभोमशि्चत धर्म:' अर्थात योग समाधि को कहते हैं जो चित् का सर्व धर्म है।
योग दर्शन के अनुसार 'योगचित्तवृत्ति निरोध:' अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध (एकाग्रता) का नाम ही योग है।
महर्षि 'याज्ञवलक्या' के शब्दों में 'संयोग योग इत्युक्तो जीवात्मा: परमात्मनो' अर्थात जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का नाम योग है।
योग क्या है?,
श्रीमद् भगवद् गीता के अनुसार 'समत्वम योग उच्यते' अर्थात समता की स्थिति को योग कहते है। सुख-दुख, लाभ हानि, मान अपमान, अनुकूल प्रतिकूल, आदि सभी स्थितियों में समता की स्थिति में बने रहने को योग कहते हैं।
एक ऋषि के अनुसार सर्वचिंता परित्यक्तो निश्चिंततो योग उच्यते' अर्थात सब चिंताओं को त्याग कर निश्चिंत हो जाने का नाम ही योग है।
योग क्या है?,what is yoga
योग ऋषि वशिष्ठ के अनुसार संसार सागर में पार होने की युक्ति को योग कहते हैं विभिन्न योग मनीषियों द्वारा प्रतिपादित योग की विभिन्न परिभाषा है।
योग प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा अन्वेषित सुखी जीवन जीने की एक ऐसी श्रेष्ठ कला है जिसके द्वारा शरीर में अखंड स्वास्थ्य, इंद्रियों में अखंड शक्ति, मन में अखंड आनंद, बुद्धि में अखंड ज्ञान एवं अहम में अखंड प्रेम प्राप्त कर के मानव आवागमन से अपने आप को मुक्त कर सकता है, या यूं कहिए योग द्वारा शरीर के रोग, इंद्रियों में थकावट, कमजोरी, मन से चिंता, बुद्धि से भय एवं अहम् से वियोग की पीड़ा से अपने को सदा के लिए मुक्त किया जा सकता है।
योग क्या है?,what is yoga according to old era |
भारत में आजकल योग का बहुत ही अधिक प्रचलन हो गया है योगा एक अति प्राचीन पद्धति है शरीर को स्वस्थ रखने की जो कि बहुत ही लाभकारी और हमारे शरीर के अनुकूल है योगा के नियमित अभ्यास से आप अपने आप को स्वस्थ और सुंदर बना सकते हैं आज भारत में योग का बहुत अधिक प्रचलन हो चुका है हालांकि यह पद्धति हमारे भारत की ही है और इसका जन्मदाता भी भारत ही है उसके बावजूद योग का प्रचलन बहुत कम हो गया था मगर इन दिनों योग का प्रचलन काफी बढ़ गया है और अब तो विश्व योगा दिवस भी मनाया जाने लगा है।
योग क्या है?,what is yoga
- योग की मदद से हम अनेकों बीमारियों का सफल और सहज इलाज कर सकते हैं यदि हमें योगा का सही ज्ञान है। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की 'युज समाधो' धातु में 'धज्' प्रत्यय लगने से 'यूजीर योग' धातु में 'कतरि् धज्' प्रत्यय हुई है। जिसका सामान्य अर्थ है समाधि तथा जोड़ने वाला।
योग क्या है?,what is yoga according to old era
योग क्या है?,what is yoga according to old era |
योगा भाषा के अनुसार 'योग: समाधि:श्च सर्वभोमशि्चत धर्म:' अर्थात योग समाधि को कहते हैं जो चित् का सर्व धर्म है।
योग दर्शन के अनुसार 'योगचित्तवृत्ति निरोध:' अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध (एकाग्रता) का नाम ही योग है।
महर्षि 'याज्ञवलक्या' के शब्दों में 'संयोग योग इत्युक्तो जीवात्मा: परमात्मनो' अर्थात जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का नाम योग है।
योग क्या है?,
what is yoga according to old era
श्रीमद् भगवद् गीता के अनुसार 'समत्वम योग उच्यते' अर्थात समता की स्थिति को योग कहते है। सुख-दुख, लाभ हानि, मान अपमान, अनुकूल प्रतिकूल, आदि सभी स्थितियों में समता की स्थिति में बने रहने को योग कहते हैं।
योग क्या है?,what is yoga according to old era |
एक ऋषि के अनुसार सर्वचिंता परित्यक्तो निश्चिंततो योग उच्यते' अर्थात सब चिंताओं को त्याग कर निश्चिंत हो जाने का नाम ही योग है।
योग क्या है?,what is yoga
योग ऋषि वशिष्ठ के अनुसार संसार सागर में पार होने की युक्ति को योग कहते हैं विभिन्न योग मनीषियों द्वारा प्रतिपादित योग की विभिन्न परिभाषा है।
योग प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा अन्वेषित सुखी जीवन जीने की एक ऐसी श्रेष्ठ कला है जिसके द्वारा शरीर में अखंड स्वास्थ्य, इंद्रियों में अखंड शक्ति, मन में अखंड आनंद, बुद्धि में अखंड ज्ञान एवं अहम में अखंड प्रेम प्राप्त कर के मानव आवागमन से अपने आप को मुक्त कर सकता है, या यूं कहिए योग द्वारा शरीर के रोग, इंद्रियों में थकावट, कमजोरी, मन से चिंता, बुद्धि से भय एवं अहम् से वियोग की पीड़ा से अपने को सदा के लिए मुक्त किया जा सकता है।
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