चेन्नई के युवा इंजीनियर ने खोजा chandrayaan-2 का मलबा
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चेन्नई के युवा इंजीनियर ने खोजा chandrayaan-2 का मलबा |
Chandrayaan 2 करीब 3 महीने से जुटी नासा और इसरो chandrayaan-2 के मलबे को नहीं ढूंढ पा रहे थे वहीं भारत के युवा इंजीनियर ने शौकिया तौर पर इसे ढूंढ निकाला जिनका नाम षणमुगम सुब्रमण्यम है विक्रम लेंटर का मलबा खोजने के बाद दुनियाभर में लोकप्रिय हो चुके शौकिया खगोल ने बताया कि चंद्रमा पर विक्रम लैंडर के उतरने के स्थल की नासा द्वारा ली गई नई व पुरानी तस्वीरों को अपनी छोटी सी लैब में जमा किया है इनकी तुलना करते हुए उन्होंने एक जगह एक सफेद बिंदु भी नजर आया जो पुरानी तस्वीरों में नहीं था कि वह दिन में 4 से 7 घंटे chandrayaan-2 के मलबे को खोजते और घंटे रात को 2:00 बजे तक खोजते थे और सुबह 6:00 बजे फिर उठ जाते थे chandrayaan-2 के बलवा को तलाशते थे मैकेनिकल इंजीनियर सुब्रमण्यम पैसे से $1 पर है वह खगोल विज्ञान में काफी रुचि रखते हैं चार से 7 घंटे तक यारों से मिली तस्वीरों काम से लौटकर आते और रात में 2:00 बजे तक विक्रम की तलाश करते फिर सोते हैं और फिर सुबह उठकर खोज में डूब जाते हैं फिर 9:00 बजे अपने काम पर जाते हैं उनकी मेहनत तीन-चार दिनों में रंग लाई । संभावित मलबे के बारे में नासा को ट्वीट किया और ईमेल कर भी पूछा क्या यह विक्रम है 18 अक्टूबर को।
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चेन्नई के युवा इंजीनियर ने खोजा chandrayaan-2 का मलबा |
षणमुगम सुब्रमण्यम का सपना है कि वह एक ऐसा अंतरिक्ष यान बनाएं जो पृथ्वी से किसी वायुयान की तरह टेक ऑफ करें और चंदा पर लैंड हो उन्होंने कहा कि इसरो ने अभी तक उनसे कोई संपर्क नहीं की है यदि वहां से कोई जवाब आता है तो उन्हें खुशी होगी भी।
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चेन्नई के युवा इंजीनियर ने खोजा chandrayaan-2 का मलबा |
इसरो की बड़ी उपलब्धि पर षणमुगम सुब्रमण्यम को श्रेय अलार्म कैमरा के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जान केलर एक पत्र लिखकर सुब्रमण्यम को इसके लिए बधाई दी उन्होंने बताया कि विक्रम की तलाश में 17 और 16 सितंबर को एलआरओ की तस्वीरों को कई लोगों ने डाउनलोड किया था संगम सुब्रमण्यम ने अपनी खोज के साथ नासा के LRO से संपर्क किया जो सकारात्मक साबित हुआ उनकी टीप के आधार पर बाकी सब को खोजा गया 11 नवंबर की तस्वीरें में जीरो पॉइंट 0•7 मीटर पिक्सेल की सबसे साफ रोशनी वाली तस्वीर मिली जिससे सुब्रमण्यम की खोज की पूरी तरह से पुष्टि हुई भले ही Vikram Lander खो गया लेकिन चंद्रमा के सतह के इतने निकट पहुंचना ही बड़ी उपलब्धि है।
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