सर्दी खांसी जुखाम और फेफड़े की बीमारी में चमत्कारिक असर के लिए यह पढ़ें ,Read this for the miraculous bearing in the cold cough jukham and lung diseas
सर्दी खांसी जुखाम और फेफड़े की बीमारी में चमत्कारिक असर के लिए यह पढ़ें ,Read this for the miraculous bearing in the cold cough jukham and lung disease
सर्दियों में मौसम बदलने के कारण सर्दी जुखाम हर बच्चे में निमोनिया की शिकायत होना एक आम बात है मगर यह बड़ा रूप ले लेती है अगर हम इस पर ध्यान ना दें इससे बहुत अधिक इंफेक्शन बढ़ जाता है जिससे कि यह बड़ा रूप लेकर बीमारी में तब्दील हो जाती है सर्दी जुखाम खांसी के बाद में टाइफाइड निमोनिया टीवी जैसे रूप ले लेते हैं जो कि बहुत ही खतरनाक होते हैं यह सारे लोग का साथ दें हो जाते हैं और इन्हें संभालना बहुत ही मुश्किल हो जाता है आयुर्वेद में कुछ ऐसे उपचार हैं जो कि इन्हें बढ़ने से रोकते हैं और जड़ से खत्म करने की शक्ति रखते हैं और यह उपचार के तरीके बिल्कुल घरेलू है आप अभी जानने के लिए पूरा पढ़ें।
सर्दी खांसी जुखाम और फेफड़े की बीमारी में चमत्कारिक असर के लिए यह पढ़ें ,Read this for the miraculous bearing in the cold cough jukham and lung disease |
नंबर 1. कफ Expectoration ( phlegm )
कभी-कभी कोई गर्म पर आया था गर्म औषधि के सेवन से कब्ज का छाती पर एकत्रित हो जाता है सूखा हुआ कब बड़ी प्रशंसा से निकलता है और खास नहीं है तथा कब निकलते समय बड़ी समस्या होती है छाती पर कफ cough का घर-घर आवाज होता है।
25 ग्राम अलसी को कुचलकर 400 ग्राम पानी में होता है और जब मात्र एक तिहाई पानी रह जाए तो उसे छानकर 12 ग्राम मिश्री मिलाकर रख लें इसमें एक-एक चम्मच भर कर काढ़ा एक 1 घंटे के अंदर में दिन में कई बार पिलाएं इससे बलगम निकल जाता है और छाती साफ हो जाती है।
बहेड़ा की छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से खांसी ठीक हो जाती है और कफ cough सरलता से निकल जाता है।
मुलेठी और सूखा आंवला अलग-अलग बारीक करके पिसे और छान लें तथा मिलाकर रखें । इसमे से एक चम्मच दिन में दो बार ,खाली पेट प्रातः पानी से लेने से कपड़ों पर जमा हुआ कफ cough निकल जाता है।
नंबर 2. जुकाम नजला common cold ( accute rhinitis )
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ऋतु परिवर्तन पानी में भीगना ठंडी हवा लगना पसीने का 11 के रुक जाना बहुत ठंडे या गर्म स्थान में रहना गरम से काग ठंडे पानी में जाना आदि अन्य कारणों से यह रोग हो जाता है भरोसा साथी रोग बच्चों को भी हो जाता है इसके उपचार में देर नहीं करना चाहिए ।
7 काली मिर्च और 7 बतासे से 250 ग्राम पानी में डालकर पकाएं। जब पानी मात्र एक चौथाई रह जाए तो गरमा गरम पी जाए और शरीर को किसी चादर से ढक कर सो जाएं सुबह भूखे पेट और रात में सोने से पहले यह ले । दो दिन में ही नजला जुखाम से आराम हो जाएगा साथ ही इससे हरारत खांसी और शरीर का दर्द समाप्त हो जाएगा।
तुलसी की सूखी पत्तियों का चूर्ण 1 ग्राम ,पिसी हुई सोंठ आधा ग्राम ,आठ 10 ग्राम कालीमिर्च कुटी हुई इन सब को 200 ग्राम खोलते हुए पानी में डालकर 2 मिनट तक उबालें ऐसा से नीचे उतारकर मिनट बाद ही उसे छानकर 100 ग्राम उबला हुआ दूध और इच्छा अनुसार चीनी मिलाकर गुनगुना पी जाए। तथा कोई चादर आदि ओढ़ कर लेट जाएं । 10 मिनट तक चादर के अंदर ही रहें इससे सर्दी का सिरदर्द जुकाम पीना सा स्वास नली में सूजन और दर्द साधारण ज्वार मलेरिया आदि सभी विकार समाप्त हो जाएंगे।
नंबर 3. खांसी cough
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खांसी अपने आप में कोई रोक नहीं है अच्छा किया आने लोगों का क्या लक्षण है यदि खांसी बराबर बनी रहे तो कहिए निरहुआ खुद पत्ती हो सकती है खांसी मुख्यतः तीन प्रकार की होती है सूखी खांसी बलगम की खांसी और काली खांसी सूखी खांसी नहीं होती है इसमें कटनी से थोड़ा-थोड़ा लेता तक निकलता है और बलगमी खांसी तर होती है इसमें खांसने से कफ cough bulgum निकलता है
काली खांसी ज्यादा छोटे बच्चों को होती है इसमें खासतौर पर बच्चों का मुंह काला जाता है और कभी-कभी इसका मुजम्मिल से लग जाता है खांसी कोई भी हो अच्छी नहीं होती इसे जल्दी से बात करना जरूरी होता है।
उपाय धोनी फिटकरी 10 ग्राम और देसी खांड 100 ग्राम दोनों को महीन पीसकर मिला लें और बराबर मात्रा की 14 पुड़िया बना कर रखें सुखी खासी में आधा गिलास गर्म दूध से रोज सोते समय एक पुड़िया ले और गीली खांसी में एक पूजा गर्म पानी के साथ ले जा खांसी दूर हो जाए तो दवा खाना बंद कर दे इसे दवा में पुरानी से पुरानी खांसी भी दो हफ्ते में समाप्त हो जाती है कथा शुरुआती द माता की जय जाता रहता है गर्मियों के मौसम में तो यह दवा बहुत आश्चर्यजनक प्रभाव डालती है।
काली मिर्च और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पीस लें इसमें इतना देसी घी मिला है कि इस मिशन की गोली से बन जाए अब इसकी जय बेरी के बेर के समान गोलियां बना लें एक-एक गोली दिन में चार बार चूसने से हर प्रकार की सूखी और बलगम वाली खांसी ठीक हो जाती है पहली गोली जिसने से ही प्रभाव दिखाई पड़ने लगेगा खांसी के अलावा गले की खराश और गला बैठने आदि सभी रोगों में लाभदायक है।
नंबर 4. सूखी खांसी Dry cough
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सूखी खांसी बहुत खतरनाक होती है इससे बचने के उपाय जाने । काली मिर्च और मिश्री मुंह में रखें इसे गला भी खुल जाता है। काली मिर्च और मिश्री समान मात्रा में पीस लें इसमें इतना घी मिलाऐं की गोली बन जाए। इस गोली को मुंह में रखकर चूसे हर प्रकार की खांसी में लाभ होगा। 10 10 कालीमिर्च पीसकर शहद में मिलाकर प्रातः चाटे तथा रात में काली और दूध गर्म करके पिए । 10 काली मिरच में 1 चम्मच गरम घी में मिलाकर चाटने से खांसी दूर हो जाती है।
नंबर 5. दमा ashtma (dyspnoea )
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दमा एक बहुत ही खतरनाक फेफड़ों की बीमारी है जिसमें लोगों की एक ही सांस फूलती है और सांस लेना मुश्किल होता है यह एक ऐसी बीमारी है जो कि बहुत ही विकराल रूप ले लेती है और इसमें व्यक्ति असहाय हो जाता है पहले यह माना जाता था कि दमा अधिक आयु वाले को ही होता है किंतु आज की स्थिति बदल चुकी जाने कैसे बालक देखे जा सकते हैं जीना मुश्किल हो गया है यूरो बहुत ही कष्ट देता है फेफड़ों की वायु वन करने वाली नलिका ओं की छोटी-छोटी पेशियों में जब अकड़न भरा संकुचन उत्पन्न होता है उस वक्त सांस लेने में तकलीफ होने लगती है इसे ही दमा या श्वास कास कहते हैं इसे मुख्यतः वंशानुगत बाप दादा से प्राप्त भी माना जाता है इस रोग में तकलीफ तो ज्यादा होती है किंतु मृत्यु नहीं होती इसका आक्रमण जाति रात्रि के समय होता है तब रोगी सो नहीं पाता है वह लेट आ भी जाता बल्कि उसे उठ कर बैठना पड़ जाता है रोगी खुली हवा प्राप्त करने को बेचैन हो जाता है। हंसते-हंसते कष्ट के साथ थोड़ा सा बलगम भी निकलता है श्वास के साथ साईं साईं की आवाज आती है कुछ चिकित्सकों का कहना है कि दमक दम के साथ जाता है ज्यादा में के रोग रोगी जीतेगी अधिक है किंतु हमारा विचार है कि नियम पूर्वक और समय अनुसार खान-पान का ध्यान रखते हुए स्वदेशी चिकित्सा के अनुसार इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है बहुत से चिकित्सक इस रोक को वंशानुगत भी मानते हैं उनके मत से धूल तंबाकू चुना सानिया घाट के कणों का श्वास में जाना रात्रि में अधिक भोजन करना पारे जी के मानसिक उत्तेजना सर्दी लगना आदि कारणों से यह रोग हो जाता है इसका उपचार जानते हैं।
मुलेठी और सुहागे के फूलों को अलग अलग कर या पीस कर किसी साफ कपड़े में चांदनी फिर इन दोनों को अलग-अलग दो कांच की शीशी में करके रखें दोनों बराबर होने चाहिए तथा श्री सिया भी एक जैसी हो तो अच्छा है या दम दमा की सर्वोत्तम आती है इसकी मात्रा आधा ग्राम से 1 ग्राम तक की है यदि इस औषधि को आधा ग्राम की मात्रा में लेनी हो तो दोनों को आधा ग्राम ले और उनमें आवश्यकतानुसार साथ मिलाकर चाट जाए अथवा गर्म पानी के साथ इसका सेवन करें या मात्रा बड़ों के लिए है बच्चों के को एक रत्ती की मात्रा अथवा आयु के अनुसार दें इसके प्रयोग काल में केला दही चावल और किसी भी तरह के शब्दों का प्रयोग ना करें।
यह औषधि दमा के रोगियों के लिए लाभकारी तो है ही साथ ही जिन को गाढ़ा कफ की समस्या हो तो उनके कफ को बाहर निकाल कर उन्हें भी ला पहुंचाती है । उन रोगियों को भी यह असली शहद मिश्री और अथवा कत्था लगे पान के साथ लेना चाहिए। रात में सोते समय साधारण से दुगनी मात्रा में लेने से स्वास रोगी को रात्रि कष्ट से काफी कमी हो जाती है ।आवश्यकतानुसार तीन चार हफ्ते लेने से साधारण दमा ठीक हो जाता है कफ मल के साथ ही निकल जाता है।
नंबर 5 . तपेदिक या छय रोग टी. बी. Tuberculosis (TB,Phthisis Pulmonalis )
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टी.बी. तपेदिक या क्षय रोग यह एक घातक रोग है माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया द्वारा पैदा होता है 6 के जीवाणु अधिकतर व्यक्तियों के पुरुषों को ही अपना शिकार बना कर उन्हें जो ग्रस्त रहते हैं यह जीवाणु किसी भी व्यक्ति को रविता सकते हैं किंतु क्षय रोग का शिकार अधिक वह व्यक्ति होता है जो सारे ग्रुप से दुर्बल हो जिसे पोस्टिंग वजन खाने को ना मिलता हो या इसके अधिक संपर्क में रहता हो यह उड़कर लगने वाला यानी फैलने वाला रोग है अधिक मानसिक परिश्रम अधिक स्त्री प्रसंग हस्तमैथुन की अधिकता अधिक मात्रा का पीना गर्मी या कंठमाला का दोष आदि लोग इसके मुख्य कारण है पहले सुखी खासी बाद में दरखास रखता ना शरीर की दुर्बलता बने रहना आने लगते हैं। आइए जानते हैं इससे बचने का अचूक उपाय जो कि बिल्कुल घरेलू है और जिसे आप आसानी से कर सकते हैं अगर आप नहीं से कर लिया तो निश्चित तौर पर आपको इससे मुक्ति मिल सकती है।
लहसुन को रोजाना खाते रहने से यह रोग नहीं होता हर प्रकार के क्षय रोग को ठीक करने में लहसुन संजीवनी के समान है क्योंकि यह कीटनाशक होता है । लहसुन की दो फलियां छीलकर पीस लें और एक पाव दूध में डालकर उबालें जब दूध उबलताे उबलते खीर की तरह गाढ़ा हो जाए तो ठंडा करें और रोज प्रातः अथवा सोते समय रोजाना एक बार लें । 40 दिन में छह रोग ठीक हो जाता है।
क्षय रोग के कारण जिसे ज्वार बराबर बना रहता हो उसे 11 तुलसी की पत्ती थोड़ा सा नमक जीरा हींग एक गिलास गर्म पानी और 25 ग्राम नींबू का रस मिलाकर दिन में तीन बार कुछ दिनों तक पीने से क्षय रोग का ठीक होना निश्चित है।
या एक अमरस में 60 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम दो बार रोजाना पिए दोनों समय आधा आधा किलो गर्म दूध पीएं एक माह में क्षय रोग समाप्त हो जाएगा।
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