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Chitragupta Puja 2019: चित्रगुप्त पूजा और भैया दूज एक ही दिन, जानिए मुहूर्त, मंत्र, आरती और पूजा विधि
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chitragupta puja 2019, puja vidhi,mantra, significance, Kalam Davat Puja, Yam Dwitiya, Bhai Dooj,tika, govardhan Pooja, देवताओं के लेखाकार चित्रगुप्त महाराज की भैया दूज (Bhai Dooj) और यम द्वितीया के दिन खास पूजा कायस्थ समाज के लोग करते हैं। इसे कलम दवात की पूजा भी कहा जाता है। पंजाब और जम्मू कश्मीर के एरिया में टीका नाम से भी जाना जाता है आइए जानते हैं इस चित्रगुप्त पूजा की विधि, मंत्र, कथा और पौराणिक मान्यता के बारे में विस्तार से
दिवाली के तीसरे दिन शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को चित्रगुप्त महाराज की पूजा का विधान है
भाई दूज का पर्व भी आज ही के दिन पूरे विश्व में मनाया जाता है जहां जहां भारतीय मूल के निवासी रहते हैं वहां वहां पर यह त्यौहार मनाया जाता है भाई दूज या भैया दूज ( Bhai dooj ) bhaiya dooj बहने अपने भाई की लंबी उम्र के लिए आज के दिन पूजन करती हैं
भाई दूज का पर्व भी आज ही के दिन पूरे विश्व में मनाया जाता है जहां जहां भारतीय मूल के निवासी रहते हैं वहां वहां पर यह त्यौहार मनाया जाता है भाई दूज या भैया दूज ( Bhai dooj ) bhaiya dooj बहने अपने भाई की लंबी उम्र के लिए आज के दिन पूजन करती हैं
आज ही के दिन कायस्थ परिवार के सभी व्यक्ति चित्रगुप्त महाराज ( Chitragupt maharaj) की पूजा करते हैं जिसे बहुत जगह कलम दवात की पूजा भी कहा जाता है यम दुतिया को मनाया जाने वाला यह पर्व चित्रगुप्त महाराज की पूजा-अर्चना या कलम दवात की पूजा भी कहते हैं भगवान चित्रगुप्त को देवताओं का लेखपाल माना गया है और वह मनुष्य के पाप पुण्य का लेखा जोखा भी रखते हैं इस दिन नई लेखनी या कलम दवात की पूजा करने का विधान है व्यापारी गण इस दिन को नववर्ष की शुरुआत के रूप में मानते हैं।
आज के दिन कायस्थ परिवार का हर सदस्य कागज पर अपनी आय और व्यय लिखता है और एक विशेष विधि से पूजन करता है, व्यापारियों के लिए भी या कलम से जुड़े हर व्यक्ति के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है और लगभग सभी व्यक्ति जो कलम से जुड़े हैं आज के दिन पूजन अवश्य करते हैं पर विशेष रूप से कायस्थ परिवार के सदस्य आज के दिन पूजन अवश्य ही करते हैं।
ब्रह्मा से उत्पन्न श्री चित्रगुप्त महाराज जोकि यमराज के यम नगरी में लेखाकार का काम करते हैं उन्होंने ब्रह्म लिपि लिपि का आविष्कार मां सरस्वती के साथ मिलकर उनसे विचार-विमर्श करके विश्व की पहली लिपि का आविष्कार किया था उन्हें विश्व में लिपि के अविष्कार के लिए प्रथम माना जाता है इससे पहले कोई भी भाषा लेखन के रूप में नहीं थी सबसे पहले चित्रगुप्त महाराज ने लिपि का आविष्कार किया उसे अपने पिता ब्रह्मा के नाम पर ब्रह्म लिपि नाम दिया। इसी लिपि सरस्वती नदी के किनारे ऋषि व्यास वेद व्यास ने अपनाई थी।
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